Tuesday 9 July 2013

हम उस देश के वासी हैं

बच्चा दूध के लिये जब व्याकुल हो तो,
माताएं लोरियां कहती हैं
हम उस देश के वासी हैं,
जहां दूध की नदियां बहती है

पानी के लिये तड़पते हों जब,
तब लोग यही समझाते हैं;
हम उस देश के वासी हैं ,
जिस देश मे गंगा बहती है

स्वर्णाभूषणों की जब लालसा हो,
तो अपने दिल बहलाते हैं,
हम उस देश के वासी हैं;
लोग जिन्हें सोने की चिड़िया बुलाते हैं

जहां चोरी करना आम बात हो,
और चोर चोरी की ताक मे रहते हैं॥
हम उस देश के वासी हैं,
जहां घरों मे ताले नही लगते हैं

बेइमानी,धुर्तता हर जगह पे है,
लोग अपने ईमान बेचते हैं,
हम उस देश के वासी हैं,
जिन्हें दुनिया वाले पूजते हैं

ईज्जत लुट रही है नारियों की,
उनकी चीत्कार दिशाओं मे गूंजते हैं
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश मे नारी को पूजते हैं

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-08-1-999,friday,12.015 pm,

khaparkheda,nagpur,maharashtra.



 



9 comments:

अज़ीज़ जौनपुरी said...

अति सुन्दर ,भावपूर्ण

Ranjana verma said...
This comment has been removed by the author.
Ranjana verma said...

सही कहा अभी देश की यही दशा है..... अच्छी प्रस्तुति...

ANULATA RAJ NAIR said...

ज़माना बदल गया है...हमारा देश भी.....
मगर मन बहलाने को पुरानी यादें तो हैं...
तंज का भाव लिए अच्छी रचना.

अनु

Mohan Srivastav poet said...

aziz bhai ji,
aapka dil se aabhar

Mohan Srivastav poet said...

ranjana ji,
aapka sadar aabhar

Mohan Srivastav poet said...

anu ji,

aapka bahut-bahut dhanyawad

Unknown said...

सच कहां आपनें हम उसी देश के वासी हैं जिसे कभी सोने की चीडिया कहते थे । लेकिन आज नहीं रहा वह भारत ............ आभार

Mohan Srivastav poet said...

अजीज भाई जी,
आपका आभार