बच्चा दूध के लिये जब व्याकुल हो तो,
माताएं लोरियां कहती हैं ।
हम उस देश के वासी हैं,
जहां दूध की नदियां बहती है ॥
पानी के लिये तड़पते हों जब,
तब लोग यही समझाते हैं;
हम उस देश के वासी हैं ,
जिस देश मे गंगा बहती है ॥
स्वर्णाभूषणों की जब लालसा हो,
तो अपने दिल बहलाते हैं,
हम उस देश के वासी हैं;
लोग जिन्हें सोने की चिड़िया बुलाते हैं ॥
जहां चोरी करना आम बात हो,
और चोर चोरी की ताक मे रहते हैं॥
हम उस देश के वासी हैं,
जहां घरों मे ताले नही लगते हैं ॥
बेइमानी,धुर्तता हर जगह पे है,
लोग अपने ईमान बेचते हैं,
हम उस देश के वासी हैं,
जिन्हें दुनिया वाले पूजते हैं ॥
ईज्जत लुट रही है नारियों की,
उनकी चीत्कार दिशाओं मे गूंजते हैं ।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश मे नारी को पूजते हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-08-1-999,friday,12.015
pm,
9 comments:
अति सुन्दर ,भावपूर्ण
सही कहा अभी देश की यही दशा है..... अच्छी प्रस्तुति...
ज़माना बदल गया है...हमारा देश भी.....
मगर मन बहलाने को पुरानी यादें तो हैं...
तंज का भाव लिए अच्छी रचना.
अनु
aziz bhai ji,
aapka dil se aabhar
ranjana ji,
aapka sadar aabhar
anu ji,
aapka bahut-bahut dhanyawad
सच कहां आपनें हम उसी देश के वासी हैं जिसे कभी सोने की चीडिया कहते थे । लेकिन आज नहीं रहा वह भारत ............ आभार
अजीज भाई जी,
आपका आभार
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