कभी हम भी तो होंगे बूढे़,
जब कमर झुकेगी हमारी !
हाथों मे छड़ी एक होगी,
और हालत एक जुआरी !!
जब बाल पके होंगे मेरे,
आंखों मे होगी अंधियारी !
गरदन हिलते होंगे मेरे,
और बात हठिली जैसी नारी !!
कभी हम बच्चों के बनेंगे दादा,
और संग मे करेंगे किलकारी !
ढ़ेरों हम करेंगे हम उनसे वादा,
और बनेंगे उनकी सवारी !!
कुछ लोग करेंगे हमसे नफ़रत,
जब घेरेगी हमे बिमारी !
कुछ प्यार की दवा तो देंगे,
जब देखेंगे हमारी लाचारी !!
जब यम आएंगे हमे लेने,
तुम देना हमें एक चिंगारी !
खुश रहना जहां के लोगों,
होगी ये आशिश हमारी !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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दिनांक- १८/०७/२०००, मंगलवार, दोपहर १.२० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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