कितना हम बचके चलें मगर,
मिलावट से नही बच सकते हैं हम !
हर एक चीज मे आज मिलावट ,
जहा अशुद्धता है जादा और शुद्धता है कम !!
सुबह-सुबह ही मुख शुद्धी से,
हम अपवित्र हो जाते हैं !
कई मिलावटी चीजों को ,
हम खुब चाव से खाते हैं !!
कौन है असली, कौन है नकली,
इसका पहचान तो मुश्किल है !
कई-कई मिलावटी राम,
इस नकली धन्धे मे शामिल है !!
जानवरों की हड्डी से भाई,
टूथ पेस्ट बनाए जाते !
जो दूध हमे हैं अब मिलते,
उनमे युरिया मिलाए जाते !!
कई तरह के मिष्ठानों को ,
देवो को आज चढ़ाते हैं !
मगर उनमे हम जो चिनी मिलाते,
वह हड्डियों से बनाए जाते हैं !!
घी के देखो पूरी-पराठे,
खुब चाव से खाए जाते !
पर इस घी मे भाई ,
जानवरो के चर्बी मिलाए जाते !!
विभिन्न तरह के साबुन मे,
चर्बी खुब मिलाए जाते !
कई तरह के चाकलेटों मे,
जानवरो के मांस मिलाए जाते !!
तरह-तरह के होठों के लिपस्टिक,
जो होठों की शोभा बढ़ाते हैं !
उनमे कई मासूम जानवरो के,
चर्बी को मिलाए जाते हैं !!
अनाज को सुंदर दिखने के लिए,
उन्हे पालिश करके चमकाए जाते !
कच्चे फ़लों को पकाने के लिए,
अब उन्हे दवावों हैं से पकाए जाते !!
धनिया मे मिलावट, हल्दी मे मिलावट,
मिलावट मिर्ची-मशाला मे !
नर मे मिलावट-नारी मे मिलावट,
मिलावट बहुत मधुशाला मे !!
गहनों मे मिलावट-कपड़ों मे मिलावट,
मिलावट तो लोगों के ईमान मे है !
कहने मे मिलावट -करने मे मिलावट,
मिलावट तो अब के आवाम मे है !!
कितना हम बच के चले मगर,
मिलावट से नही बच सकते है हम !
हर एक चीज मे आज मिलावट,
जहा अशुद्धता है जादा,और शुद्धता है कम !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१२/०८/२००७, शनिवार, रात-२.१५ बजे,
लोहारी,गरियाबंद, रायपुर (छ . ग .)
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