Thursday 27 October 2011

यदि हम होते भ्रष्टाचार के मंत्री

यदि हम होते भ्रष्टाचार के मंत्री,
तो हम जी भर के पैसा कमाते थे !
मुंह मे दलाली का पान चबाकर,
हम पाप की गंगा मे नहाते थे !!

भ्रष्टाचार को बढ़ावा कैसे मिले,
इसके लिए नित नई खोज हम करते !
अपने इस खोज के माध्यम से,
हम अपनी तिजोरी भरते !!

ईमानदारी को छोड़ के सब कोई,
 बेइमानी को गले लगावो !
शुद्ध आचरण को दूर भगा,
अब भ्रष्ट आचरण को अपनावो !!

ऐसे विभिन्न तरह के श्लोगन से,
हम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिलाते !
गिनिज बुक आफ़ वर्ल्ड रिकार्ड मे,
तब हम अपने नाम को दर्ज कराते !!

योजनाएं बनाने से पहले,
उनमे हम भ्रष्टाचार का प्रतिशत रखते !
कई आकर्षक पुरष्कारों से,
हम उन भ्रष्टाचारियों को सम्मानित करते !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०१/१२/२०००,शुक्रवार,सुबह-.२० बजे,

चंद्रपुर(महाराष्ट्र)

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