ऐ नारी शक्ति उठो आज,
अब वक्त ने तुम्हे पुकारा है !
दिल से तुम्हारा स्वागत करने,
इक्कीसवीं सदी ने भुजा पसारा है !!
तुम भोग कि कोई वस्तु नही,
जिसे जब चाहा उपयोग किया !
कोइ नई वस्तु जब पसंद आए,
तो तुम्हे कचरे कि तह मे फ़ेंक दिया
!!
तकदीर पे आंसू बहा कर के ,
ज़ुल्म को सहना ठीक नही !
अन्याय व अत्याचार के आगे,
शीश झुकाना ठीक नही !!
शक्ति कि अवतार हो तुम,
अपने शक्ती की पहचान करो !
आत्म- बल हो तुम्हारे रोम-रोम मे,
और अपने हक के लिए लड़ो !!
शिक्षा पर उचित ध्यान देकर,
तुम्हे पुरुषों की बराबरी करना है !
राहें कितनी भी मुश्किल हो,
तुम्हे आगे ही बढ़ते रहना है !!
ऐ नारी शक्ति उठो आज..........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन दिनांक-६/११/२०००
सोमवार, शाम ७.५० बजे
No comments:
Post a Comment