दिपो की रानी दिवाली,
दुल्हन बन कर आई!
स्वागत अपना देख-देख कर,
दिल से है मुस्काई!!
रंगोली से सज गया है देखो,
घर -दरवाजे -आंगन!
रंग बिरंगी फ़ुल्झड़ियों से,
वातावरण हुआ मनोरम!!
रंग-बिरंगे पोषाक पहन कर,
नन्हे-मुन्ने इतराए!
खुशी से वे सब झुम-झुम कर,
दिल से दिवाली मनाए!!
घर-आंगन-गलियारोंकी,
कैसी हुई सफ़ाई!
धन-वैभव का खज़ाना लेकर,
लक्ष्मी माता आई!!
नए-नए-आतिशबाजी से,
गगन मे रोशनी छा सा गया!
सब के दिल है मगन आज,
धरती पे स्वर्ग हो आ सा गया!!
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२५/१०/२००० ,वुद्धवार,शाम-६.३० बजे
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)
No comments:
Post a Comment