विकास विनाष का है लक्षण,
जहा मानव जिवन को खतरा है!
कर रहे प्रकॄति का हम दोहन,
जहा मानव-प्रकॄति मे झगड़ा है!!
अन्धाधुन्ध पेड़ो की कटाई कर,
हम धरती से हरियाली छीन रहे!
बेहिसाब भुमि का दोहन कर,
हम अपने लिए कफ़न मौत का बीन रहे!!
इसका दुष्परिणाम हमे होता है,
जब सूनामी भयंकर आता है!
कभी कही भूकंप है तो,
कभी ज्वालामुखी कहर बरपाता है!!
नए-नए खतरनाक आणविक अस्त्रों का,
हम तेजी से निर्माण कर रहे है!
पर शायद हमको पता नही,
हम अपने मौत का सामान धर रहे है!!
इसलिए मानव विनास को बचाना है तो,
प्रकॄति से छेड़खानी नही करो!
स्वस्थ हमे यदि रहना है तो,
वातावरण को प्रदूषित नही करो!!
मोहन श्रीवास्तव,
दिनांक-२८/०३/२०११,सोमवार,शाम,३.४५ बजे,
रायपुर(छ.ग.)
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