आ गया चुनाव का मौसम अब
,
जिसमे वोटों के सौदागर
आएंगे !
तरह-तरह- के लुभावने वादे कर,
वे मतदातावों को लुभाएंगे
!!
पाच साल पहले आए थे,
अब पाच साल है बाद मे
आए !
उस समय भी हमे ऐसे लूटे
थे,
और इस समय भी हमे ऐसे
लूटने आए !!
उस समय भी ऐसे ही वादों
की,
इनके मुंह से निकलती फ़ुलझड़ियां
थीं !
कर जोड़ के चलते थे ऐसे,
वो तश्वीर भी कितनी बढ़िया
थी !!
वोट हमारे ये लेके उड़े,
फ़िर याद इन्हे ना हम आए
!
आज जरुरत इन्हे हमारी आन
पड़ी तो,
ये माई-बाप फ़िर हमे कहने आए !!
ऐसे ही झूठे वादों से,
इतिहास हमेशा दुहराया
जाएगा !
कभी कुछ महिनें या कुछ
साल,
या फ़िर पांच साल मे ऐसा
आएगा !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०१/१०/२००४,शुक्रवार,
रात्रि ११.१० बजे,
चिंचभुवन,नागपुर(महाराष्ट्र)
No comments:
Post a Comment