Monday 14 November 2011

अब पांच साल है बाद मे आए


आ गया चुनाव का मौसम अब ,
जिसमे वोटों के सौदागर आएंगे !
तरह-तरह- के लुभावने वादे कर,
वे मतदातावों को लुभाएंगे !!

पाच साल पहले आए थे,
अब पाच साल है बाद मे आए !
उस समय भी हमे ऐसे लूटे थे,
और इस समय भी हमे ऐसे लूटने आए !!

उस समय भी ऐसे ही वादों की,
इनके मुंह से निकलती फ़ुलझड़ियां थीं !
कर जोड़ के चलते थे ऐसे,
वो तश्वीर भी कितनी बढ़िया थी !!

वोट हमारे ये लेके उड़े,
फ़िर याद इन्हे ना हम आए !
आज जरुरत इन्हे हमारी आन पड़ी तो,
ये माई-बाप फ़िर हमे कहने आए !!

ऐसे ही झूठे वादों से,
इतिहास हमेशा दुहराया जाएगा !
कभी कुछ महिनें या कुछ साल,
या फ़िर पांच साल मे ऐसा आएगा !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०१/१०/२००४,शुक्रवार,
रात्रि ११.१० बजे,

चिंचभुवन,नागपुर(महाराष्ट्र)


 

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