कुदरत ने दिल से बनाया तुम्हे,
जो देखे तुम्हारा हो जाए !
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!
हिरनी सी चाल,रेशम से बाल,
हर ख्वाब तुम्हारे सुनहरे है !
गुलनार गाल,तुम हो कमाल ,
और नयना शाम-सबेरे है !!
पायल रुनझुन -रुनझुन करती ,
और कोयल के जैसी गाये ..
सीने में नदियों सी उफ़ान ,
पायल रुनझुन -रुनझुन करती ,
और कोयल के जैसी गाये ..
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!सीने में नदियों सी उफ़ान ,
जिसे देख के धडकन बढ़ जाये !
अंगड़ाई तुम्हारे लेने से ,
मन में महुआ रस झड़ जाये !!
माथे पे बुँदे पसीने की ,
किस्मत पे अपने इतराये ...
किस्मत पे अपने इतराये ...
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!
भौहें जैसे दुईज की चाँद ,
नाजुक सी कलाई वाली हो !
लचकाती कमर-फ़ूलों सा अधर,
तुम तो कितनी मतवाली हो !!
कारे -कजरारे नयनों में,
बस प्रीत की दुनिया की नजर आये
बस प्रीत की दुनिया की नजर आये
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!...
नथिया की चमक को देख सनम ,
सूरज भी शर्मा जाता है !
मुखड़ा गुलाब के जैसा है ,
जहां चांद भी सर को झुका जाता !!
बिजली गिरती है अदाओं से ,
बिन मौसम बादर बरसाये ....
बिजली गिरती है अदाओं से ,
बिन मौसम बादर बरसाये ....
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!...
पल्लू से झांकता जब नाभि ,
जैसे ईंद्रधनुष का नजारा हो !
हीरे -मोती की लड़ी करधन ,
जैसे करती कोई ईशारा हो !!
खुश्बू फैलाते हुए आंचल ,
रह -रह के हवा में लहराए ...
पिपर की पात खनके चूड़ी ,
खुश्बू फैलाते हुए आंचल ,
रह -रह के हवा में लहराए ...
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!...पिपर की पात खनके चूड़ी ,
मुस्कान शरद की धुप लगे !
हो नील गगन की परी कोई ,
मन मोहिनी सुंदर रूप लगे !!
कानो के जब झुमके झूलें ,
गुलशन में बहारा आ जाये ....
कानो के जब झुमके झूलें ,
गुलशन में बहारा आ जाये ....
तुम जिससे भी दो बातें करो,
सपनो मे तुम्हारे खो जाए !!...
चंदन सा बदन कितनी सुंदर,
जैसे रूप का कोई खज़ाना हो !
करने दीदार लम्बी कतार,
कोई पागल कोई दिवाना हो !!
जुल्फें हैं घटाओं के जैसे ,
मन मोर को जो है थिरकाए ...
जुल्फें हैं घटाओं के जैसे ,
मन मोर को जो है थिरकाए ...
तुम जिससे भी दो बातें करो,
पनो मे तुम्हारे खो जाए !!...
कुदरत ने दिल से बनाया तुम्हे,
जो देखे तुम्हारा हो जाए !
तुम जिससे भी दो बातें करो ,
सपनों में तुम्हारे खो जाये ...
http://kavyapushpanjali.blogspot.in/2011/11/blog-post_8270.html
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
दिनांक-२२/०७/२००५,शुक्रवार,रात्रि ९ बजे,
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