हम जिस भी काम को करते हैं,
उनमे श्रद्धा व पूरी ईमानदारी हो ।
आती हैं मुश्किलें तो आने दो,
हम कभी भी इससे दुखियारी न हों ॥
किसी काम को करते हैं तो,
हम हर बार सफल हैं नही होते ।
असफलता कभी जब मिलती है हमें,
तो दुःखी हो करके हम रोते ॥
पर असफलता ही सफलता की है सीढ़ी,
ये अपने दिल मे ध्यान रहे ।
आलोचना से हमे मिलती है शक्ती,
जो कमी हो उसमे सुधार करें ॥
निंदक व आलोचक को,
अपने पास सदा रखें ।
उनकी टीका-टिप्पणियों से,
हम अपने मे और सुधार करें ॥
सच्चे अर्थों मे आलोचक,
वे एक गुरु से कम हैं नही ।
जिनकी बस आदत कमी ढूढ़ना,
तब हम काम हैं करते और सही ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२२-४-२०१३,सोमवार,१२.१५ बजे,
पुणे,महा.
2 comments:
True lines.
श्री अनिल साहु जी,
आप का दिल से आभार
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