धूल तेरे चरणों का मइया,
मिल जाये तो कृपा होगी ।
मुझ निर्धन ,दुखियारी पर मां,
बहुत बड़ी तो दया होगी ॥
धूल तेरे चरणों का........
पूजा का हमे ग्यान नही मां,
ना ही तेरी स्तुति आता ।
तेरी भक्ती के सिवा हमे मइया,
कुछ भी तो है नही आता ॥
धूल तेरे चरणों का.........
है मेरे पास नही कुछ माता ,
बस श्रद्धा के है आंसू ।
तेरे दरश की प्यास बड़ी है,
अपना दरश तो दिखा जा तू ॥
धूल तेरे चरणों का.........
तू ही हो मा सूरज-चन्दा,
नील गगन और हो धरती ॥
हमसे हो मां क्यों रूठी तुम,
हमपे दया नही क्यों करती ॥
धूल तेरे चरणों का.....
आदि-अन्त हो तू ही माता,
तू ही भाग्य बिधाता हो ।
दूर करो मेरे दुःख को मां,
तेरे चरणों मे शीश झुकाता हूं ॥
धूल तेरे चरणों का मइया,
मिल जाये तो कृपा होगी ।
मुझ निर्धन दुखियारी पर मां,
बहुत बड़ी तो दया होगी ॥
धूल तेरे चरणों का........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१२-४-२०१३,शुक्रवार,७ बजे,
पुणे.महा.
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