Wednesday 28 September 2011

जो कई शदियों तक हमे रूलाएंगे


भीषण कराल की ज्वाला मे,
 जब लोग झुलसते जाएंगे!
चीत्कार दिशावों मे गूंजेगा,
हर जगह मातम हम मनाएंगे!!

जो जहां रहेंगे वे वहीं खतम ,
कोई भाग नहीं सकता है वहां !
चंद मिनट पहले के हंसते स्थल,
परिवर्तित हो जाएंगे श्मशानों  मे वहां!!

लाशों के ढेर छितरे -बितरे ,
जिनके घर के घर स्वाहा होंगे !
कोइ -कोई ढुढेंगे अपनों को ,
पर हाथ निराशा ही लेंगे!!

यह चंद दॄश्य तो केवल गांवों का है ,
जहां दूर -दूर आबादी है!
बड़े शहरों की तो बात ही क्या ,
जिनकी किश्मत मे लिखा बर्बादी है!!

नागासाकी-हिरोशिमा के वे धमाके ,
जो बहुत छोटे जाने जाएंगे !
असली धमाके तब होंगे ,
जो कई शदियों तक हमे रूलाएंगे!!

                              मोहन श्रीवास्तव
                       दिनांक -३१/०८/१९९९ ,रात ११.५५ बजे
                        चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

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