Wednesday 28 September 2011

समझाना है तो ,पकियों को समझावो


दादावों का गुरू है भारत,
जहां बच्चा-बच्चा दादा है!
हम तुम्हे झुका सकते हैं मगर ,
हमें तो झुकना नही आता है!!

दो बिल्लियों की आपस की लड़ाई मे,
तुम बंदर बनना चाहते हो!
बे- वजह बिना बुलाए ही ,
हमारे अन्दर आना चाहते हो!!

समझाना है तो पाकियों को समझावो,
हमे समझाने की नही जरूरत है!
आतंकिवों का बादशाह है वो,
हम तो ममता की सी मूरत हैं!!

यह आपस की लड़ाई है अपनी,
हम आपस मे ही सुलझ लेंगे!
तुम बे-वज़ह टांग अड़ाते क्यूं हो,
हम इक - दूजे से निपट लेंगे!!

ज़ाल बिछा रहे हो अमरीका तुम ,
खुद ही ज़ाल में फ़ंस जावोगे!
हम आग हैं दुश्मनों के लिए ,
यदि हाथ डाले तो जल जावोगे!!

                            मोहन श्रीवास्तव
                         दिनांक -१२/०८/१९९९ ,बॄहस्पतिवार, समय-दोपहर ३ बजे
                         चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

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