मेरा कर दो प्रभु उद्धार ,हम तेरी शरण गहे......
हमने समय बहुत ही गवाया,तुमने हमको कैसे भुलाया
हम पर अब तो करो उपकार, कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो प्रभु उद्धार...
हम मूरख अग्यानी है प्रभु पूजा का नहि ध्यान
हम कामी अति लोभी है प्रभु कर न सकू गुण-गान
म्मेरे पापो को कर दो नाश, कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो प्रभु....
इस माया कि दुनिया मे प्रभु हम सब भटक रहे है
इस शिशे कि परछाईं पर हम सब झपट रहे है
हम पर कर दो कॄपा कि बरसात कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो....
इस माया के घेरे मे प्रभु सूझे नहि कोई राह
हे मेरे स्वामी कॄपा करो तुम, सुन लो दुखी कि आह
हम सब के पालन हार कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो प्रभु ....
अपरम्पार प्रभु तेरी लिला,करो कॄपा हे अनुग्रह शिला
इस अन्धकार को मिटावो हे प्रभु, कर दो अपना प्रकाश
कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो....
अपना दास बना लो मेरे प्रभु ,अपना कोई नही सहारा
निज भक्ती दे दो हे प्रभु,मै सब कुछ से हारा
मेरी सुन लो करुण पुकार कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो...
निज भक्तो को तुमने तारा,कष्टो से इन्हे उबारा
तेरी रातो-दिन करे बखान,राखे तु इनकी आन
हे भक्तवत्सल भगवान कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो....
मेरी एक अरज है स्वामी मेरे,रखना लाज हमारी
अन्त समय मे तेरे दर्शन करके प्राण सिधारे
हम भक्त है तू भगवान कि हम तेरी शरण गहे
मेरा कर दो प्रभु उद्धार हम तेरी शरण गहे.....
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-०४/५/१९९१,शनिवार,रात्रि,११.३० बजे,
एन.टी.पी.सी. ,दादरी, गाजियाबाद(उ.प्र.)
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