कहां तुम खोई हो प्यारी मइया
हम बाल तुमको कब से पुकारे !
जगत की जननी हो अम्बे मइया
तू मां हो सुरज ,हम सब हैं तारे !!
तेरे दर्शन को हम सब आए
कहा छुपी हो हे काली माता !
तुम्हारी चरणों की पूजा करके
पा लेगे हम सब अपना किनारा !!
तुम्ही हो माता,पिता तुम्ही हो
तुम्ही हो राधा,सिता तुम्ही हो !
तुम्ही हो ब्रह्मा,विष्णू तुम्ही हो
तुम्ही हो शिव शंकर डमरु वाला !!
ये मेरी नइया डूब रही है
आके तु दे दो हे मा सहारा !
तुम्हारी भॄकुटी ही मात्र से मा
सभी को मिल जाएगा किनारा !!
ये खाली झोली है मा हमारी
झोली को मेरे भर दो हे माता !
द्वारे आए है हम भिखारी
भक्ती दे दो तुम अपनी माता !!
कहां तुम खोई हो ,हे प्यारी मइया
हम बाल कब से...............
मोहन श्रीवास्तव कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक- १९/९/१९९१ ,बॄहस्पतिवार,दोपहर -१२.४० बजे,
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