Monday 28 November 2011

गजल(मेरा जीवन-मेरा गुलशन)



सोचते है सभी जीवन के बारे मे,
अपना कैसा ये आगे का रहना होगा!
मै भी इनकी तरह सोचता ही रहु
मेरा कैसे कहा बसना होगा!!

मेरा जीवन,मेरा गुलशन ,कहो कैसा होगा!
जैसे मै सोचता हु,क्या वैसा होगा!!
मेरा जीवन..................
मेरे अन्जाने है जो आज ,वो कल अपने होगे!
वो मेरे कैसे बदलते हुए सपने होगे!!
मेरा जीवन.......................
मै जहा हु,कहा रहु मुझे नही है पता!
शायद हम डुबते हुए क्श्ती मे होगे!!
मेरा जीवन................
मेरी विबी,मेरे बच्चे,मेरे भाई-बहन!
अपने मा-बाप के साये मे हसते होगे!!
मेरा जीवन.............
ये गरिबी,बदनसिबी से रहेगे कोसो दूर!
अपने आराम के जीवन मे पलते होगे!!
मेरा जीवन..................
शायद उसके लिए,जिसको मेरी जरुरत हो!
उस समय कुछ उनके लिए करने होगे!!
मेरा जीवन..........................
ऐसे तेजी से बदलती हुई इस दुनिया मे!
अपने को औरो का साथी बन कर चलने होगे!!
मेरा जीवन......................
शायद मै जिऊ नही,सोच-सोच मर जाऊ!
अपनी इच्छावो को अपने बस मे रखने होगे!!
मेरा जीवन....................

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२७/८/१९९१ ,मंगलवार,रात १०.०५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)

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