Friday 18 November 2011

लालच दहेज का


युगो-युगो से मानव ने रिति बनाई
बेटिया नही सभी ने बेटो की आश लगाई
बेटियो से इनको है परहेज
बेटो से मिलते है इन्हे दहेज
बेटा पैदा होते ही मानो सारी खुशिया आई
यदि बेटी ने जन्म लिया तो मानो शामत आई
कोई-कोई नर - नारी बेटियो से करते प्यार
पर कोई-कोई मा बाप उन पर करते अत्याचार
ये ईंषान नही ये है शैतान
ये मनुष्य नही ये है हैवान
इनको कोई कैसे समझाए
जैसे हो ये जंगल से आए
बेटे के पैदा होते ही ये शहनशाह बन जाते है
ये जुड़वे बच्चे हुए तो ये बादशाह बन जाते है
इनके पैदा होते ही ये नित कल्पनाएं करते है
इन पर ये महानुभाव सारी आशाएं रखते है
यह मेरा बेटा बड़ा होकर लाखो मे नाम कमाएगा
सारी खुशियो को लेकर ये मेरे आखो के सामने आएगा
जब इसके रिश्ते को लेकर रिश्ते वाले आएंगे
और साथ मे अपने नोटों की गड्डी लाएंगे
वे बोलेंगे एक लाख तो मांगूगा मै चार लाख
उस समय के बाजार भाव मे मेरी बनेगी ऐसी साख
लोग कहेंगे लल्लू सेठ के शेयर के दाम बढ़ रहे है
वे अपने बेटे का रिश्ता चार लाख मे कर रहे है
उस समय हम लड़की वालो की मौखिक परीक्षा ले लेंगे
जो चार लाख या जादा देगा उसकी ही ईच्छा रख लेंगे
शादी के पहले नकद कैश उनको देने के लिए कह दूंगा
बाकि जो चीज बचा होगा फ़ेरे के पहले ले लूंगा
 और बरातियों के स्वागत की तैय्यारी करनी होगी
लड्डू और पकवानो से उनके पेट को भरनी होगा
साथ मे दुल्हे के लिए एक बाइक मिल जाए तो अच्छा
तथा और छोटी-मोटी चीजे मिल जाए ,यह आपकी ईच्छा
अपनी बेटी के लिए भी कुछ तोले गहने दे दिजिएगा
और कुछ कर सके आप तो समधी के लिए भी ले लिजिएगा
ये सब सोच रहे लल्लू जी बेटे को लिटा के सिरहाने
और अपने सुन्दर ख्यालो मे बैठ गए है पैताने
बेटे की शादी कर लिए लल्लू जी ,बहू आ गई उनके घर मे
अब नाती-पोते का ख्याल करने लगे है अपने मन मे
कुछ दिन बाद मेरी बहू को होंगे दो-तीन बेटे
मै उनसे खिलवाड़ करुंगा लेटे -लेटे
उन तिनो का नाम रखुंगा चिन्टू-मिन्टू और टिंकू
मुझको वे बाबा बोलेंगे प्यार से बोलेंगे दद्दू
जब उनसे मै गुस्सा हौंगा प्यार से मारुंगा इक लत्ती
इससे भी नही मानेंगे तो मारुंगा दोनो लत्ती
वे दोनो पैर लल्लू जी के
अपने ही बेटे पर लगे जाकर
अब उनके अरमान हो गए ठंडे अपने ही बेटे को मारकर
क्या-क्या सोचा था लल्लू ने यह कैसे क्या हो गया
अपने ही बेटे को मारा वह सदा सदा के लिए सो गया

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक१८/४/१९९१
एन.टी.पी.सी. दादरी ,गाजियाबाद(उ.प्र.)

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