Monday 19 February 2024

गजल (गम तो दुनिया में हैं कई मोहन )

गम तो दुनिया में हैं कई मोहन ,
उनके गम से तो ये बहुत कम है ।
दर्द अपना उन्हें सुनाने लगे ,
उनकी आंखे तो बहुत नम है ।।
गम तो दुनिया में हैं कई मोहन......

कोई पिय के बिरह में जल है रही ,
पर किसी का तो है सुहाग नही ।
कोई फूलों की सेज पे है तो ,
पर किसी को टूटी खाट नही ।।
गम तो दुनिया में हैं कई मोहन......

हमें दो वक्त मिल रहा भोजन ,
पर उन्हें खाने की तो आश नही ।
किसी के पास है बहुत दौलत ,
पर किसी के तो धन तो पास नही ।।
गम तो दुनिया में हैं कई मोहन.........
मेरे तो चंद घाव है तन में ,
पर किसी के तो अंग है ही नही ।
किसी के पास जम रही महफिल ,
पर किसी के तो कोई संग नही ।।
गम तो दुनिया में हैं कई मोहन........

ढेरों गम हैं तो इस जमाने में ,
मेरे गम तो उनसे बहुत कम है ।
जहाँ देखो वहां गम ही गम है ,
मेरा गम तो उनसे बहुत कम है ।।

गम तो दुनिया में हैं कई मोहन ,
उनके गम से तो ये बहुत कम है ।
दर्द अपना उन्हें सुनाने लगे ,
उनकी आंखे तो बहुत नम है ।।
गम तो दुनिया में हैं कई मोहन ......

मोहन श्रीवास्तव ( कवि )
08-10-2014, Wednesday,(882),
07:30 PM ,Baheri ,Sidhi M.P

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