Monday, 19 February 2024

कोई कवि ने तो उपमा दिया आपको

कोई कवि ने तो उपमा दिया आपको,
आपका तो कोई जवाब नही
इक झलक पा लेते हैं जो आपकी,
वे समझते हैं कहीं कोई ख्वाब तो नही

मुखड़ा है आपका जैसे कोई गजल,
आखें जैसे हो शायरी कर रहे
भौहें तो हैं दोहे सी आपकी,
झुमके कानों के जैसे हों गजल पढ़ रहे

नाक की नथिया तो आपका छंद सी,
वक्ष कविता जैसे हैं लग रहे
है कमर आपका सोरठा सा कोई,
हाथों की चूड़ीयां गीत हों गा रहे

पायल पावों के ऐसे सवइया कोई,
मुक्तक तो लग रहा नाभी आपका
होठ जैसे कोई श्लोक हों पढ़ रहे,
केश कोई भजन सा है आपका

चीर है तो वदन पे कोई गद्य सा,
चाल तो पद्य सा कोई लग रहा
आपके चाहने वाले अलंकार से,
समास जैसे तो वाह-वाह सब कर रहा

 कवि मोहन ने उपमा दिया आपको,
आपका तो कोई जवाब नही
इक झलक पा लेते हैं जो आपकी,
वे समझते हैं कहीं कोई ख्वाब तो नही

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-10-2013,friday,3:00pm,(768),
pune,m.h.


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