ऐ मेरे दिल के राहों की सुंदर परी,
अब तो हमसे ना कोई शरम किजिये ।
हुश्न के तो लिये इश्क बेताब है,
अब तो इसपे भी इतना रहम किजिये ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
फूल की खुश्बू जैसे लिये आप हो,
मैं तो भंवरा हूं रस पाना चाहता ।
आप हैं तो कोई चांदनी की तरह,
आप हैं तो कोई चांदनी की तरह,
मैं अमावस जो पूनम को चाहता ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
अब तो मेरी भी बेबसी जानिये,
दिल का धड़कन मेरा तो बढ़ा जा रहा ।
आप अपने को तो उर्वशी जानिये,
प्यार की आग में मैं जला जा रहा ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
लमहा-लमहा तो पर्दा उठा लिजिये,
रोक सकता है कैसे कोई आपको ।
चाँद की चाँदनी मे नहा लिजिये,
दी ईजाजत खुशी से तो मैं आपको ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
जी मेरे दिल के आशिक तो आप हैं,
अब तो हमसे ना कोई शरम किजिये ।
इश्क के तो लिये हुश्न बेताब है,
अब तो हमपे भी इतना रहम किजिये ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
आप की ही तरह मै भी बेचैन हूं,
मुझको बाहों मे अपने समा लिजिये ।
बन गई हूं मैं आप की हमसफर,
मुझको पलकों मे अपने पनाह दिजिये ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की सुंदर परी,
अब तो हमसे ना कोई शरम किजिये ।
हुश्न के तो लिये इश्क बेताब है,
अब तो इसपे भी इतना रहम किजिये ॥
ऐ मेरे दिल के राहों की......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
02-10-2013,wednesday,5pm,(764),
pune,maharashtra.
No comments:
Post a Comment