Monday, 19 February 2024

देवी गीत (माँ की भक्ति में इतना तो रस है)

माँ की भक्ति में इतना तो रस है,
जो बताने के काबिल नहीं है ।
उसकी चरणों में अपना सर्वश है,
जो सुनाने के काबिल नहीं है ॥
माँ की भक्ति में इतना तो रस है...

आश बस उसपे तुम अपना रख लो,
पार कर देगी नइया तुम्हारी ।
ध्यान दिल से तुम माँ का तो कर लो,
वो तो काटेगी बिपदा तुम्हारी ॥
माँ की भक्ति में इतना तो रस है...

पूछना है तो भक्तों से पूछो,
जिसपे माँ ने कृपा है बरसाया ।
आजमाना है तो आजमा लो,
वो सबपे करती अपनी छाया ॥
माँ की भक्ति में इतना तो रस है...

वो तो सारे जगत की विधाता,
दुसरा कोई उसका न शानी ।
हम हैं बालक हमारी वो माता,
आदि शक्ति,जगदम्बा,भवानी ॥
माँ की भक्ति में इतना तो रस है...

मांगती नहीं कोई चीज वो,
वो तो श्रद्धा की भुखी है मइया ।
अपनी भक्तों की सोई नसीब को,
वो जगाती है पल भर मे मइया ॥
माँ की भक्ति में इतना तो रस है...

माँ की भक्ति में इतना तो रस है,
जो बताने के काबिल नहीं है ।
उसकी चरणों में अपना सर्वश है,
जो सुनाने के काबिल नहीं है ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
10-06-2001,sunday,(495),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.


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