Monday, 19 February 2024

गजल (इन खुबसूरत पावों को,जमीं पे न उतारिए)

गजल
(इन खुबसूरत पावों को,जमीं पे न उतारिए)

इन खुबसूरत पावों को,जमीं पे न उतारिए ।
कहीँ लग न जाए घाव,इन्हें मत उतारिए ।।
इन खूबसूरत पावों को..........

यहां पत्थरो के साथ में,कंकड़ व् धूल हैं ।
कही लग न जाए दाग,इन्हें मत उतारिए ।।
इन खूबसूरत पावों को..........

यहां हर तरफ सुलगती,धधकती सी आग है ।
कहीँ जल  न जाए पांव ,इन्हें मत उतारिए ।।
इन खूबसूरत पावों को..........

यहां बर्फ भी बहुत,कड़ाके की सर्द है ।
कहीँ जम न जाए पांव,इन्हें मत उतारिए ।।
इन खूबसूरत पावों को..........

मेहंदी रचे इन पावों को,मेरे दिल में उतारिए ।
कहीँ लग न जाए घाव,इन्हें मत उतारिए ।।

इन खुबसूरत पावों को,जमीं पे न उतारिए ।
कहीँ लग न जाए घाव,इन्हें मत उतारिए ।।

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
14-09-2014, 08:45 P.M, (874),
Bahri,Sidhi(M.P)

No comments: