रोते हुए मै रो ना सकूं,
हसना भी गुनाह है !
सोते हुए मै सो ना सकूं,
किसकी लगी हमे आह है !!
रोते हुए मै...........
मरते हुए मै मर ना सकूं,
जीने की भी चाह है !
भूखा हूं पर खा न सकूं,
जाने कौन सी राह है !!
रोते हुए मै.........
शूल है दिल मे चुभता हुआ,
पर दर्द से मै अन्जान हूं !
बातें उनकी ना समझ सका,
मै भी कितना नादान हुं !!
रोते हुए मै.........
जितना हो सका मैने किया,
अब तो मेरी नही चाह है !
किया भलाई पर बुराई मिला,
ए कैसा संसार है !!
रोते हुए मै...........
घुटन भरी इस दुनिया के,
दर्द भरे तश्वीर मे !
देखें कब तक चलता है,
मोहन के तकदीर मे !!
रोते हुए मै रो ना सकूं,
हसना भी गुनाह है !
सोते हुए मै सो ना सकूं,
किसकी लगी हमे आह है !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
९/५/१९९९,रविवार,रात १० बजे,चन्द्रपुर महा.
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