Monday, 19 February 2024

झूठे चुनावी वादे

बज गया बिगुल है चुनावी महासमर का,
जिसमे सब शब्दों के तीर चलाएंगे !
वोटों का हमसे भीख मांगकर,
इस महा कुंभ मे नहाएंगे !!

पांच साल को गए थे ये,
पर एक साल ही रह पाए !
मति विपरीत हो गई थी इनकी,
जो की जनता की जेल मे फ़िर आए !!

इस भीड़ तन्त्र के प्यारे मतदातावों,
कई लुभावने उनके नारे होंगे !
पानी,बिजली राशन -तेल,
सब कुछ सस्ते होंगे !!

सड़कें जहा नही है भाई,
हम शिघ्राति-शीघ्र बनवाएंगे !
सरकार बन गई तो मेरी,
सब की तकलीफ़ें मिटाएंगे !!

जीत गए तो ,फ़िर पहचानेंगे नही,
हारे तो उदास हो जाएंगे !
यह जीत-हार का सारा खेल,
हम सब के सीने पर खेले जाएंगे !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
११//१९९९,मंगलवार,रात .३५ बजे,

चन्द्रपुर महा.

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