तनहा-तनहा रहते हो क्युं रहते हो,पास नही क्युं आते हो !
दर्द दिया है, दवा भी दो, उदास क्युं कर जाते हो !!
तनहा-तनहा क्युं........
रात सुहानी है पूनम की, हल्की-हल्की घटाएं हैं !
झिलमिल तारे चमक रहे है,रंग-बिरंगी छटाएं हैं !!
तनहा-तनहा.........
नफ़रत करना ही था मुझसे,तो प्यार की ज्योति जलाए क्युं !
वादे जो-जो तुमने किये थे,ऐसे सपने सजाए क्युं !!
तनहा-तनहा.......
नफ़रत करो या करो तुम गिला,हम तो तुम्हारे अपने है !
प्यार किया है प्यार करेंगे,हर पल तुम्हारे संग मे है !!
तनहा-तनहा...........
कश्में वादे किए थे हमने,वो तो हमको निभाना है !
जब तक हुं दुनिया मे यहां,उसे पुरा करके जाना है !!
तनहा-तनहा..........
ख्वाहिश मोहन की तुमसे यही,बाहों मे ले लो तुम अपने !
तड़पावो नही हमे इतना,घावों मे लगा लो तुम अपने !!
तनहा-तनहा से रहते हो,पास नही क्युं आते हो !
दर्द दिया है दवा भी दो,उदास क्युं कर जाते हो !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२४/४/१९९९,रात्रि ९.४० बजे ,चन्द्रपुर महा..
No comments:
Post a Comment