मेरे कृष्ण गोपाल,तुम हो दीन दयाल,
प्रभु हमपे तो अपनी कृपा किजीये ।
आओ-आओ नंदलाल,सुनो जशुदा के लाल,
हमरी बगड़ी को फिर से बना दिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
हम हैं दीन दुःखी,बस है रुखी-सुखी,
प्रभु इसका भी भोग लगा लिजीये ।
हम हो जायेंगे निहाल,मन तो होगा माला-माल,
हम गरीब को अपना बना लिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
प्रभु तेरा रूप मनोहर,लागे तुमको ना नजर,
प्रभु हमको तो अपना बना लिजीये ।
तेरे नयना हैं अति सुंदर,बस गये मेरे दिल के अंदर,
कभी अपनी भी ओर तो निहार लिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
अब जा रही है लाज,मेरे कर दो पुरे काज,
प्रभु हमपे भी अपना दया किजीये ।
जाएं-जाएं हम कहां,तुम बिन बहुत दुःख सहा,
अब तो अपनों की लाज बचा लिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
मेरे प्राणों से प्यारे,तुम हो सबके दुलारे,
तुम्हें श्रद्धा से जो भी पुकारा करे ।
तुमपे जो भी रखते आश,तुम तो रहते उनके पास,
तुम उन भक्तों के काज को संवारा करे ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
आओ-आओ हे कन्हइया,प्यारे बंशी के बजइया,
अपनी मुरली की धुन तो सुना दिजीये ।
मेरी डूब रही है नइया,आ जावो बन के खेवइया,
हमें डूबने से अब तो बचा लिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल....
मेरे कृष्ण गोपाल,तुम हो दीन दयाल,
प्रभु हमपे तो अपनी कृपा किजीये ।
आओ-आओ नंदलाल,सुनो जशुदा के लाल,
हमरी बगड़ी को फिर से बना दिजीये ॥
मेरे कृष्ण गोपाल...
मोहन श्रीवास्तव(कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
16-11-2000,thursday,8:55am,(410),
in
sikandrabaad-varanasi train,nagpur,maharashtra.
No comments:
Post a Comment