Monday, 19 February 2024

भजन (हे दीन बंधु कृपानिधान)

हे दीन बंधु कृपानिधान,तनी हमरी ओर निहारिये
हम दीन-हीन गरीब के,बिगड़ी को प्रभु जी संवारिये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

तुम हो अनादि और अनंत,घट-घट मे तेरा वास है
तुम आदि भी तुम ही हो अंत,अपनी कृपा बरसाइये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

तुम ही हो ब्रह्मा,विष्णू तुम,शिव तुम तो प्राण अधारे हो
श्री राम तुम,श्री कृष्ण तुम,हमे अपना दरश तो दिखाइये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

रचना करते हो सृष्टि का,पालक भी संहारक भी तुम
अपना बना लो प्रभु हमें,हे नाथ मोहे ना बिसराइये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

अग्यान पर तुम ग्यान हो,अंधेरे पे तुम तो उजाले हो
अंधकार में हम पड़े यहां,प्रभु अपनी ज्योति फैलाइये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

तुम बेसहारों के सहारे हो,तुम तो सभी का किनारा हो
मेरी नाव है मझधार में,हे नाथ हमको ऊबारिये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

तुम तो जगत के हो पिता,हम बाल तेरे लाल हैं
हम हैं विपद में आज प्रभु,हमको विपद से निकालिये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

हे दीन बंधु कृपानिधान,तनी हमरी ओर निहारिये
हम दीन-हीन गरीब के,बिगड़ी को प्रभु जी संवारिये
हे दीन बंधु कृपानिधान....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
16-11-2000,thursday,7:30pm,(411),

in sikandrabad-varanasi train,jabalpur,m.p.

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