राखी के बंधन को, निभाना जरुर ।
भइया मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
भइया अपनी बहना को, मत जाना कभी भूल ।
भइया मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
अपने तो भइया पे, हमको तो नाज है ।
भइया अपने बहना की, दिल की आवाज है ॥
राखी बधाने भइया, आना जरुर ॥
भइया मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
बचपन से लेकर, हम साथ रहे हैं ।
मिल-जुल के दुःख-सुख, साथ सहे हैं ॥
देखो बिधाता ने, कर दिया हमको दूर ।
भइया मेरे पास, रहो या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
मेरी ऊमर लग जाये, भइया तुमको ।
कभी भी भुलाना नही, इस बहना को ॥
राहों मे कांटे बन जाये, भइया फूल ।
राहों मे कांटे बन जाये, भइया फूल ।
भइया मेरे पास, रहो या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
बहना ओ बहना, मेरी प्यारी सी बहना ।
जहां भी रहना, खुश होके रहना ॥
कभी कोई काम आये, बुलाना जरुर ।
बहना मेरे पास, रहो या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
बहना हमारी तू तो, हम सबकी लाज है ।
अपनी तो बहना पर, हमको तो नाज है ॥
हम अपने वादे को, निभायेंगे जरुर ।
बहना मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को, निभाना जरुर ।
भइया मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
भइया अपनी बहना को, मत जाना कभी भूल ।
भइया मेरे पास रहो, या रहो दूर ॥
राखी के बंधन को.......२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
19-08-2013,monday,7:30pm,(730),
pune,maharashtra.
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