Monday, 19 February 2024

भजन (भजन कर राम का प्राणी)

भजन कर राम का प्राणी
तोरी बिती जाये उमरिया.....
भजन कर राम का प्राणी......

रात-दिन माया के भ्रम में तू,
क्यूं है इतराये
झूठी शान और झूठा दिखावा,
काहे तूं है दिखाये
बस अपना हित हो ऐसा सोच के,
क्युं करता नादानी...
भजन कर राम का प्राणी......

ये अपने हैं वो है पराये,
काहे दिल मे लाए
छड़भंगुर जीवन है तेरा,
क्युं अभिमान दिखाए
अहंकार के मद मे होके,
क्युं करता मनमानी...
भजन कर राम का प्राणी......

अबला और कमजोरों पे,
क्युं अपना आतंक मचाए
पर जीवों पे दया के बदले,
क्युं उनको है सताए
मदिरा पान और हुश्न के पीछे,
क्युं करता बरबाद जवानी..
भजन कर राम का प्राणी......

झूठ बोलके चोरी करके,
दौलत तू है कमाए
पाप कमाई करके अपना,
ऊंची हवेली बनाए
इतना ध्यान रहे तुझे इक दिन,
है अपनी जान गंवानी...
भजन कर राम का प्राणी......

भजन कर राम का प्राणी
तोरी बिती जाये उमरिया.....
भजन कर राम का प्राणी......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
25-10-2002,friday,09:00pm,(517),

namakkal,tamilnadu.

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