धूम मची रे-धूम मची रे,
देखो मइया के द्वारे पे, धूम मची रे....
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
भक्तों की भीड़ लगी, देखो माँ के द्वारे ।
सब कोई मइया की, जय-जय पुकारे ॥
कोई कहे उसको, माँ शेरावाली ।
कोई कहे उसको, जगदम्बे-काली ॥
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
दूर दूए से सब, आए नर-नारी।
अमीर-गरीब-निर्धन-भिखारी ॥
लाल चुंदरी सब, माँ को चढ़ावे ।
लाल ही लाल सब माँ से पावे ॥
सबकी आखों में श्रद्धा के नीर..
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
माँ का मंदिर खुब सजा है ।
दिन मे चहल-पहल,रात रत जगा है ॥
उसके भवन सब कोई करे उजाले ।
भक्तों को देती है माँ दूध के प्याले ॥
वो तो बिगड़ी बनाती तकदीर...
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
दरश की लालसा सबके है मन मे,
हर कोई बसाना चाहे अपने नयनन मे ।
चरणों में उसके सब शीश झुकावें,
मन चाहा वर सब
कोई पावे ॥
वो तो सबकी जगाती नसीब...
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
धूम मची रे-धूम मची रे,
देखो मइया के द्वारे पे धूम मची रे....
धूम मची रे-धूम मची रे.....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
07-10-2002,05:50pm,monday,(516),
navaratri,namakkal,tamilnadu.
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