Monday, 19 February 2024

देवी गीत (धूम मची रे-धूम मची रे)

धूम मची रे-धूम मची रे,
देखो मइया के द्वारे पे, धूम मची रे....
धूम मची रे-धूम मची रे.....

भक्तों की भीड़ लगी, देखो माँ के द्वारे
सब कोई मइया की, जय-जय पुकारे
कोई कहे उसको, माँ शेरावाली
कोई कहे उसको, जगदम्बे-काली
धूम मची रे-धूम मची रे.....

दूर दूए से सब, आए नर-नारी।
अमीर-गरीब-निर्धन-भिखारी
लाल चुंदरी सब, माँ को चढ़ावे
लाल ही लाल सब माँ से पावे
सबकी आखों में श्रद्धा के नीर..
धूम मची रे-धूम मची रे.....

माँ का मंदिर खुब सजा है
दिन मे चहल-पहल,रात रत जगा है
उसके भवन सब कोई करे उजाले
भक्तों को देती है माँ दूध के प्याले
वो तो बिगड़ी बनाती तकदीर...
धूम मची रे-धूम मची रे.....

दरश की लालसा सबके है मन मे,
हर कोई बसाना चाहे अपने नयनन मे
चरणों में उसके सब शीश झुकावें,
मन चाहा वर सब  कोई पावे
वो तो सबकी जगाती नसीब...
धूम मची रे-धूम मची रे.....

धूम मची रे-धूम मची रे,
देखो मइया के द्वारे पे धूम मची रे....
धूम मची रे-धूम मची रे.....


मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
07-10-2002,05:50pm,monday,(516),
navaratri,namakkal,tamilnadu.


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