Monday, 19 February 2024

कहां चले गये हमे छोड़ के साजन

कहां चले गये हमे छोड़ के साजन,
तुम्हारी याद बहुत ही सताती है
तुम्हारा प्यार से वो बातें करना,
हमे रह-रह के बहुत रुलाती है

हर जगह जहां मै रहती थी,
मेरा साया बनके साथ रहे
जब कभी तेज लगती थी धूप,
मेरा छाया बन के साथ रहे

वे जीवन के पल थे कितने अच्छे,
जहां हम दोनो का अलग संसार था
सहते थे सुख-दुख साथ सदा,
वहां खुशियां और बस प्यार ही था

हर तूफानों से बचाते थे तब तुम,
नही बुझने देते थे अपना दिया
मै रोशनी थी तुम्हारी राहों की,
जब रात अंधेरी होती थी पिया

कहां चले गये हमे छोड़ के साजन,
तुम्हारी याद बहुत ही सताती है
तुम्हारा प्यार से वो बातें करना,
हमे रह-रह के बहुत रुलाती है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२०--२०१२-,शनिवार,शाम बजे,

पुणे,महा.

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