आए जब तुम थे प्यारी जमीं पे,
गीत खुशियों के गाए गये थे !
आश सबने लगाई थी तुमसे,
तुमपे सपने सजाए गए थे !!
आए तुम जब थे.........
आंखो के तारे तुम थे सभी के,
प्यार-दुलार मिलता था तुमको !
तुम खिलौना थे हाथों के उनके,
दिल से उपहार मिलता था उनको !!
आए तुम जब थे.........
वक्त गुजरा,हुए जब जवां तुम,
भुलते से गए उन सभी को !
तीर जैसी तुम्हारी वो बातें,
दर्द देती थी उनके दिलों को !!
आए तुम जब थे........
कितनी आशा लगाए थे सबने,
पर निराशा दिया सिर्फ़ तुमने !
प्यार-सम्मान चाहा था तुमसे,
दर्द-अपमान दिया सिर्फ़ तुमने !!
आए तुम जब थे......
अपने मद मे न हो इतने अन्धे,
प्यार से उनको दिल से लगावो !
जावो तुम जब जमीं से ऐ मोहन,
लोगों की तुम दुआ लेके जावो !!
आए तुम जब थे प्यारी जमीं पे,
गीत खुशियों के गाए गये थे !
आश सबने लगाई थी तुमसे,
तुमपे सपने सजाए गए थे !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२६/५/१९९९,वुद्धवार,दोपहर ३ बजे,
चन्द्रपुर महा.
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