करूं कैसे मै बया, हर अदा आपकी,
आपका तो, कोई जवाब नही ।
आपको जो भी देखे ,वो हो जाये फ़िदा,
उन्हे लगता है, कहीं कोई ये ख्वाब तो नही ॥
करूं कैसे मै बया.....
दौड़ पड़ते हैं लोग, पलक झुकते नही,
आपकी इक झलक, को पाने के लिये ।
बातें करने को, हर सख्श चाहता आपसे,
कोई कैसे - कैसे, सब बहाने लिये ॥
करूं कैसे मै बया........
प्रकृति की तरह,आप है खुबसुरत,
आपका कोई, उपमा है नही ।
आपकी हर अदा से, टपकता है नूर,
जैसे आप हो मोम की ,प्रतिमा कोई ॥
करुं कैसे मै बया..........
रंग बिजली की चमक, लिये आप हैं,
आंखें कजरारे, जैसे कोई, शायरी कर रहे ।
बातें करती हुई, आपकी ये चुडीयां,
जैसे किसी के गजल, को हो पढ़ रहे ॥
करूं कैसे मै बया...........
आपके केश हैं, जैसे काली घटा,
जिसमे कितने ही, आशिक समा जाते हैं ।
रिम-झिम सावन की, पड़ती ऐसी फ़ुहार,
जो माथे पे पसीना, बन आ जाते हैं ॥
करूं कैसे मै बया.............
हरियाली को लिये , हुये, ये धरा,
जो आपका ,अपना ,परिधान हो ।
फ़ुली सरसो के, ये लह-लहाते, खेत तो,
जैसे आपकी ,अपनी, मिठी मुस्कान हो ॥
करूं कैसे मै बया..............
उमड़ - घुमड़ ,बादलों की तरह,
जैसे आपका, अपना सीना हो ।
सुर्योदय तो लगे, आप को,
आप नई - नवेली दुल्हनिया हो ॥
करूं कैसे मै बया.........
पूनम का चांद, है मुखड़ा आपका,
आपके होठ, सुबह और सन्ध्या है ।
गिरते आसू, को हमने दिया आपके,
कोई खारे, समुद्र, कि संग्या है ॥
करूं कैसे मै बया............
रुन -झुन करते हुये ,पायल पावों के,
झमझमाती, गेहूं की हो, बालियां ।
शाम समय, सुरज की, लालिमा,
जैसे आप की, होठों, की हो लालियां ॥
करूं कैसे मै बया......
कानो के झुमके, तो आप के,
जैसे धान की, लटकती बाली हो ।
ये दिल तो, आपका, है ऐसे,
जैसे समुद्र, की, कोई गहराई हो ॥
करूं कैसे मै बया...........
मदमस्त आम, की ये, अमराइयां,
जैसे आपका, हो अपना, यौवन ।
ग्रीष्म ॠतु, का पड़ता, हुआ तपन,
जैसे आप हो, कोई बिरहन ॥
करूं कैसे मै बया.........
प्रकृति की, सुन्दर खुशहाली, आप हैं,
जिसमे रंग-बिरंगा, जीवन है ।
ये बहती हुई हवा ऐसी,
जो आपकी ,अपनी, धड़कन है ॥
करूं कैसे मै बया..........
तारे टिम-टिम ,करते, आकाश के,
जो कि श्रृंगार, आपका, है अपना ।
पेड़ों की कतारों, की तरह ,आशिक,
जो देख रहे, हैं कोई ,सपना ॥
करूं कैसे मै बया...........
कर दिया मै, बया हर, अदा आपकी,
आप इतने पर, भी मेरी, हो जाइये ।
मै दिल मे, बसाये, रहूं आपको,
आप इंकार, कर के तो, मत जाइये ॥
करूं कैसे मै, बया हर अदा, आपकी,
आपका ,तो कोई, जवाब नही ।
आप को, जो भी देखे, वो हो जाये फिदा,
उन्हे लगता है, कहीं कोई, ख्वाब तो नही ॥
करूं कैसे मै बया........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-३-३-२०१३ रविवार, रात्रि-२.१५ बजे,
पुणे , महा.
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