हे मातु मेरी मइया,अब तो दया कर दे ।
झोली है खाली मेरी,अब तूं माँ इसे भर दे ॥
हे मातु मेरी मइया....
सब आश है टूट चुका,तेरा बस आश हमें ।
सब कुछ तो है लुट चुका,कुछ पास नहीं मेरे ॥
हे मातु मेरी मइया....
सब राह अंधेरे में,कहीं भी तो उजाला नही ।
हम जायें तो जायें कहां,अब राह दिखा तु ही ॥
हे मातु मेरी मइया....
क्या भूल हुई हमसे,जिसकी तु सजा देती ।
हो गई हो खता हमसे,तूं माँ माफ हमें कर दे ॥
हे मातु मेरी मइया....
तेरे ही चरणों में,ये शीश हमारा है ।
अब पार लगा दे नइया,बस तेरा सहारा है ॥
हे मातु मेरी मइया....
हे मातु मेरी मइया,अब तो दया कर दे ।
झोली है खाली मेरी,अब तूं माँ इसे भर दे ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
13-02-2001,tuesday,8:25am,(449),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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