बेवफा बनके किसी को रुलाना,
तूं प्यार करने के काबिल नही है ।
अब ना चलेगा कोई भी बहाना,
तू हम वफावों में शामिल नही है ॥
तेरे हुश्न,शवाब,अदाएं,
बेवफा हैं तु ये कह रहे हैं ।
बेवफाई के तेरे ये चर्चे,
हर गली में और सब जगह है ॥
किसी से भी तुझे दिल लगाना,
फिर दिल तोड़ देने की आदत है तुझमें ।
शीशे से भी इस नाजुक दिल पे,
चोट करने की आदत है तुझमें ॥
तेरा दिल है या कोई पत्थर,
जो दिल तोड़ते वक्त पिघलता नही है ।
तूं तो फूल दिखती है सिर्फ सुंदर,
पर तुझमें जरा सी भी खुश्बू नही है ॥
हम तो खुश हैं अपनी वफा पे,
बेवफा से तेरे हम हैं आहत ।
अब दिल तोड़ना बंद करदे तू जालिम,
जगा दिल में वफा की तू चाहत ॥
बेवफा बनके किसी को रुलाना,
तूं प्यार करने के काबिल नही है ।
अब ना चलेगा कोई भी बहाना,
तू हम वफावों में शामिल नही है ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
20-08-2000,sunday,(374),
chandrapur,maharashtra.
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