Monday, 19 February 2024

तूं प्यार करने के काबिल नही है

बेवफा बनके किसी को रुलाना,
तूं प्यार करने के काबिल नही है
अब ना चलेगा कोई भी बहाना,
तू हम वफावों में शामिल नही है

तेरे हुश्न,शवाब,अदाएं,
बेवफा हैं तु ये कह रहे हैं
बेवफाई के तेरे ये चर्चे,
हर गली में और सब जगह है

किसी से भी तुझे दिल लगाना,
फिर दिल तोड़ देने की आदत है तुझमें
शीशे से भी इस नाजुक दिल पे,
चोट करने की आदत है तुझमें

तेरा दिल है या कोई पत्थर,
जो दिल तोड़ते वक्त पिघलता नही है
तूं तो फूल दिखती है सिर्फ सुंदर,
पर तुझमें जरा सी भी खुश्बू नही है

हम तो खुश हैं अपनी वफा पे,
बेवफा से तेरे हम हैं आहत
अब दिल तोड़ना बंद करदे तू जालिम,
जगा दिल में वफा की तू चाहत

बेवफा बनके किसी को रुलाना,
तूं प्यार करने के काबिल नही है
अब ना चलेगा कोई भी बहाना,
तू हम वफावों में शामिल नही है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
20-08-2000,sunday,(374),
chandrapur,maharashtra.


No comments: