वो नई सुबह जब आयेगी,
जब सुरज की किरणें चमकेंगी ।
जब विदर्भ बनेगा राज्य हमारा,
तब इसकी छटा और भी निखरेगी ॥
सपने जब होंगे साकार हमारे,
हृदय पुलकित होंगे अपने ।
जन-जन में खुशियां भरा होगा,
जो देखे थे हमने सपनें ॥
हिंदुस्तान के अग्रणी राज्यों में,
पहचान हमारा अलग होगा ।
जय महाविदर्भ के नारों से,
सारा भारत गुंजारित होगा ॥
वो दिन अपना जरूर आयेगा,
जब विदर्भ का फूल खिला होगा ।
सबकी मेहनत और लगन का,
सुंदर उपहार मिला होगा ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-08-2000,sunday,5:05pm.(377),
chandrapur,maharashtra.
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