पतली कमरिया वाली
चलो कहीं प्यार करेंगे.....२
ऊंची अटरिया वाली
चलो कहीं प्यार करेंगे ...२
दिल तो हमारा तुमने चुराया....२
मुस्का के मेरा धड़कन बढ़ाया....२
तिरीछे...२, नयनवां वाली......२
चलो कहीं प्यार...२
इठलाके चलना,इतराती रहना.....२
परियों के जैसी शर्माती रहना.......२
नागिन सी......२, चलने वाले..........२
चलो कहीं प्यार करेंगे............२
सावन की घटा जैसी जुल्फें तुम्हारी.........२
घायल सी करती अदा सब तुम्हारी.....२
बिजली सी....२, चमकने वाली.....२
चलो कहीं प्यार करेंगे .......२
कहां से
आई हो और
कहां पे जाना......२
दीवाना हो गया है सारा जमाना......२
खन-खन...२, चुड़ियां खनकाने वाली........२
चलो प्यार करेंगे............२
तेरे पिछे पड़े हैं शहर के लड़के....२
हर कोई देखे तुम्हे रुक-रुक करके...२
पावों मे....२, पायल बजाने वाली......२
चलो कहीं प्यार करेंगे.............२
पतली कमरिया वाली
चलो कही प्यार करेंगे.....२
ऊंची अटरिया वाली
चलो कहीं प्यार करेंगे ...२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
26-09-1999,sunday,6.55pm,
chandrapur,maharashtra
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