Monday, 19 February 2024

हम इक दूजे के दिलों में रहते हैं

जब तुम्हें देखे कोई तिरिछे नजरों से,
तो मन मेरा जल उठता है
जब हंसी के कहीं फौव्वारे हों,
तो हृदय में शूल चुभ उठता है

तू पत्थर थी कभी कोई,
तुम्हें मूरत मे तरासा है मैने
तु झाड़ियों के बीच छिपी थी कहीं,
तुम्हें गुलशन मे लाया है मैने

बचपन से लेकर जवानी तक.
साया बनकरके रहा हूं मैं
लोगों की तिखी बातों को,
तेरे लिये सहा हूं मैं

जींदगी बिताने की रश्में,
हमने साथ निभाई है
इक साथ ही जीने-मरने की,
कसमें हमने खाई है

तुम्हें फूल से भी नाजुक समझ करके,
तुम्हें अपने दिल मे बसाया है
बाहों का हार सदा मैने,
गले मे तेरे पहनाया है


अब तू बन गई इस काबिल हो,
कि तुझे पाने की आश सब करते हैं
पर शायद उनको पता नहीं,कि,
हम इक-दूजे के दिलों में रहते हैं
पर शायद उनको पता नहीं,कि,
हम इक-दूजे के दिलों में रहते हैं....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
01-03-2001,thursday,4:00pm,(468),
in keralaa expss.train,between,
selam jn to ballarsha jn.


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