अब तो टूट चुके हैं सब आश,
सहारा बस तेरा माँ हमे ।
अब तो तेरी दया का बस आश,
सहारा बस तेरा माँ हमें ॥
अब तो टूट चुके हैं सब आश,
सहारा बस तेरा माँ हमे.....२
जाये तो जायें कहां हम माता...२
चरणों से तेरे है अपना नाता...२
आके बचा लो अब लाज
सहारा बस तेरा माँ हमें....
अब तो टूट चुके हैं सब आश.....२
हम तो माँ बिन तेरे दर-दर भटके....२
दुःखवा के बादल तो रहि-रहि बरसे....२
अब तो कर दे कृपा की बरसात..
सहारा बस तेरा माँ हमें....
अब तो टूट चुके हैं सब आश.....२
जो तुझको ध्याते हैं दिल से मइया...२
पार है करती उनके तु नइया....२
अब तो अपनी दिखा दे चमत्कार...
सहारा बस तेरा माँ हमें....
अब तो टूट चुके हैं सब आश.....२
जीवन की डोर अब तेरे है हाथ में....२
कोई नहीं है अपना तो साथ मे...२
बस तू ही तो माँ अपने साथ...
सहारा बस तेरा माँ हमें....
अब तो टूट चुके हैं सब आश.....२
अब तो टूट चुके हैं सब आश,
सहारा बस तेरा माँ हमे ।
अब तो तेरी दया का बस आश,
सहारा बस तेरा माँ हमें ॥
अब तो टूट चुके हैं सब आश,
सहारा बस तेरा माँ हमे.....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-05-2001,sunday,05:20pm,(490),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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