ये मिलना हमारा कैसा तुम्हारा,
क्या बतलाऊं गोरी.....
चलना तुम्हारा,यूं इतराना,
जैसे पतंग और डोरी.....
मिले हम चोरी-मिले हम चोरी....२
ये मिलना हमारा कैसा....२
नील गगन की परी तुम बनके,
उड़ती हो आकाश में ...
हम तो बन के तेरा साया...
रहते हैं तेरे पास में....
करती हो तुम कैसे हमसे,
रह-रहके मुंह जोरी...
मिले हम चोरी-मिले हम चोरी....२
ये मिलना हमारा कैसा....२
ये हंसना तुम्हारा दिन है हमारा,
आसूं हैं कली रातें...
समय है दिल की धड़कन तेरी,
श्वासें तेरी बातें....
आवो खेले हम तुम दोनों,
प्यार की आंख-मिचौली...
मिले हम चोरी-मिले हम चोरी....२
ये मिलना हमारा कैसा....२
आसमान से ऊंचा होवे,
जानम प्यार हमारा..
मिलन हमारा अमर रहे,
जैसे सुरज-चाँद-सितारा...
साथ जियें और साथ मरें हम,
खायें कसम हम गोरी....
मिले हम चोरी-मिले हम चोरी....२
ये मिलना हमारा कैसा....२
ये मिलना हमारा कैसा तुम्हारा,
क्या बतलाऊं गोरी.....
चलना तुम्हारा,यूं इतराना,
जैसे पतंग और डोरी.....
मिले हम चोरी-मिले हम चोरी....२
ये मिलना हमारा कैसा....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
01-05-2001,tuesday,9:05pm,(484),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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