तन में लगी है आग वो रामा,
इसको बुझाऊं मैं कैसे ।
हो गया हमको है प्यार किसी से,
इसको छिपाऊं मैं कैसे ॥
भुख लगे नही, नाही प्यास लगे ,
पागल सा हुआ जाए मनवा ।
नींद लगे नहीं रात में हमको,
घायल सा हुआ जाये तनवा ॥
ये ईश्क का है कैसा जादू,
जो रात और दिन ये तड़पाये ।
दिल में उठे है दर्द ये कैसा,
जो प्यार करे वो ही समझ पाये ॥
नैना ढूढ़े अपने प्यार को,
दिल मे बसी सूरत उसकी ।
मैं हो गई हुं बस उनकी,
मन में बसी मूरत उनकी ॥
आ जावो मेरे दिल की धड़कन,
बाहों का हार पहनावो ।
प्यार का प्यास लगा जो हमको,
होठों से आके बुझा जावो ॥
तन में लगी है आग वो रामा,
इसको बुझाऊं मैं कैसे ।
हो गया हमको है प्यार किसी से,
इसको छिपाऊं मैं कैसे ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-05-2001,thursday,7:15pm,(483),
thoppur,dharmapuri,tamil
nadu.
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