Monday, 19 February 2024

तन मे लगी है आग वो रामा

तन में लगी है आग वो रामा,
इसको बुझाऊं मैं कैसे
हो गया हमको है प्यार किसी से,
इसको छिपाऊं मैं कैसे

भुख लगे नही, नाही प्यास लगे ,
पागल सा हुआ जाए मनवा
नींद लगे नहीं रात में हमको,
घायल सा हुआ जाये तनवा

ये ईश्क का है कैसा जादू,
जो रात और दिन ये तड़पाये
दिल में उठे है दर्द ये कैसा,
जो प्यार करे वो ही समझ पाये

नैना ढूढ़े अपने प्यार को,
दिल मे बसी सूरत उसकी
मैं हो गई हुं बस उनकी,
मन में बसी मूरत उनकी

जावो मेरे दिल की धड़कन,
बाहों का हार पहनावो
प्यार का प्यास लगा जो हमको,
होठों से आके बुझा जावो

तन में लगी है आग वो रामा,
इसको बुझाऊं मैं कैसे
हो गया हमको है प्यार किसी से,
इसको छिपाऊं मैं कैसे

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-05-2001,thursday,7:15pm,(483),

thoppur,dharmapuri,tamil nadu.

No comments: