जो है अदा वो आपमें,औरों मे है नहीं ।
देते सजा क्यूं आप हमें,हम गैर तो नही ॥
जो है अदा वो आपमें......
चारों तरफ मासूमियत चेहरे पे आपके, ।
फूलों सी है मुस्कान, होठों पे आपके ॥
जो है अदा वो आपमें......
आखें बता रही हैं कि, हमसे तो प्यार है ।
बातें बना रहे हैं मगर, दिल बेकरार है ॥
जो है अदा वो आपमें......
रातों में नींद आपको, आती है क्युं नही ।
किसका तो ईन्तजार है,बतलाइये सही ॥
जो है अदा वो आपमें......
सहमें-सहमें क्युं आप हैं,आगे तो आइये ।
बाहों में लेके आप हमें,अपना बनाइये ॥
जो है अदा वो आपमें......
हम हैं कली इक डाल की,चमन तो आप हैं ।
हम हैं बहार आपकी,गुलशन तो आप हैं ॥
जो है अदा वो आपमें......
अब तो सजा ना दिजीये,नजदीक आइये ।
जींदगी भर के लिये ,अपना बनाइये ॥
जो है अदा वो आपमें,औरों मे है नहीं ।
देते सजा क्यूं आप हमें,हम गैर तो नही ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
21-03-2001,wedenesday,6:15pm,(478),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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