Monday, 19 February 2024

गजल (जो है अदा वो आपमें)

जो है अदा वो आपमें,औरों मे है नहीं
देते सजा क्यूं आप हमें,हम गैर तो नही
जो है अदा वो आपमें......

चारों तरफ मासूमियत चेहरे पे आपके,
फूलों सी है मुस्कान, होठों पे आपके
जो है अदा वो आपमें......

आखें बता रही हैं कि, हमसे तो प्यार है
बातें बना रहे हैं मगर, दिल बेकरार है
जो है अदा वो आपमें......

रातों में नींद आपको, आती है क्युं नही
किसका तो ईन्तजार है,बतलाइये सही
जो है अदा वो आपमें......

सहमें-सहमें क्युं आप हैं,आगे तो आइये
बाहों में लेके आप हमें,अपना बनाइये
जो है अदा वो आपमें......

हम हैं कली इक डाल की,चमन तो आप हैं
हम हैं बहार आपकी,गुलशन तो आप हैं
जो है अदा वो आपमें......

अब तो सजा ना दिजीये,नजदीक आइये
जींदगी भर के लिये ,अपना बनाइये

जो है अदा वो आपमें,औरों मे है नहीं
देते सजा क्यूं आप हमें,हम गैर तो नही

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
21-03-2001,wedenesday,6:15pm,(478),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.


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