तकदीर में लिखा है जो अपने,
वो एक-एक करके आयेगा ।
अभी दुःख के आंसू निकल रहे,
कल खुशियों का आंसू भी आयेगा ॥
जहां रात की काली रातें हैं,
वहां दिन के बहुत उजाले हैं ।
जब बच्चे को भुख लगी हो तो,
वहां माँ के दूध के प्याले हैं ॥
जहां सुरज की तपती गर्मी हो,
वहां छांव मे ठंडी हवाएं हैं ।
उदासी से भरे इस जीवन में ,
जीने की बहुत आशाएं हैं ॥
जहां कांटों से भरा कोई गुलशन हो,
उसमे फूलों की बहार भी आती है ।
जहां पतझड़ का मौसम है अभी,
वहां बसंत की बहार भी आती है ॥
मायुश न हो,ना हो तुम दुःखी,
मुश्किलों से लड़ना सीखो ।
कांटों से भरे इन राहों में,
साहस के साथ बढ़ना सीखो ॥
कांटों से भरे इन राहों में,
साहस के साथ बढ़ना सीखो....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
16-03-2001,friday,08:40pm,(477),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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