हम फूल हैं गुलशन के,
हमें प्यार से बस छू लो ।
देखो मत नफरत से,
नहीं जोर-जोर से मसलो॥
हम रंग-बिरंगे हैं,
आपस मे न लड़ते हैं ।
दुःख-सुख में हर पल हम,
हंसते ही रहते हैं ॥
नफरत से छुओगे,
हम कांटों से चुभायेंगे ।
प्यार से आओगे,
तो खुश्बू महकायेंगे ॥
हम कांटों मे भी रह करके,
फूलों की महक देते ।
तुम फूलों में रहकर भी,
कांटों से लहू देते ॥
जब दर्द सताये तो,
तुम पास चले आना ।
खुश्बू को लेके तुम,
हमें दर्द को दे जाना ॥
खुश्बू को लेके तुम,
हमें दर्द को दे जाना.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-03-2001,sunday,10:15am,(473),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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