आये हैं इस दुनिया मे तो,
मरना भी हमारी आदत है ।
पर देश पे प्राण निछावर करना,
वो मौत नही ये शहादत है ॥
देश रक्षा मे जो लगे वीर,
वो तो वतन के दुलारे थे ।
किसी बहन की आन थे वो,
तो परिवार के अपने सहारे थे ॥
चित्कार कर उठता है मा का दिल,
और बाप का कन्धा टूट जाता ।
जब किसी सुहागन का सुहाग,
पल भर मे देखो उजड़ जाता ॥
किसी बच्चों के पिता थे वो,
और किसी-किसी के चाचा थे ।
मा के दिल के टुकड़े थे वो,
और पिता की अपनी आशा थे ॥
किसी सुहागन के पति थे वो,
जो इक -दुजे के दिलों मे रहते थे ।
कुछ फ़ुर्सत के क्षण जब मिल जाते,
तो वे सुहाने सपने बुनते थे ॥
इन सब के साथ-साथ ,
वे भारत माता के बेटे थे ।
अपने प्राणों की बाजी लगाकर,
वे हमे सुरक्षा देते थे ॥
आये हैं इस दुनिया मे तो,
मरना भी हमारी आदत है ।
पर देश पे प्राण निछावर करना,
वो मौत नही ये शहादत है ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१७-३-२०१३,रविवार,शाम-४ बजे,
पुणे-महा.
No comments:
Post a Comment