Monday, 19 February 2024

"पर देश पे प्राण निछावर करना"

आये हैं इस दुनिया मे तो,
मरना भी हमारी आदत है
पर देश पे प्राण निछावर करना,
वो मौत नही ये शहादत है

देश रक्षा मे जो लगे वीर,
वो तो वतन के दुलारे थे
किसी बहन की आन थे वो,
तो परिवार के अपने सहारे थे

चित्कार कर उठता है मा का दिल,
और बाप का कन्धा टूट जाता
जब किसी सुहागन का सुहाग,
पल भर मे देखो उजड़ जाता

किसी बच्चों के पिता थे वो,
और किसी-किसी के चाचा थे 
मा के दिल के टुकड़े थे वो,
और पिता की अपनी आशा थे 

किसी सुहागन के पति थे वो,
जो इक -दुजे के दिलों मे रहते थे
कुछ फ़ुर्सत के क्षण जब मिल जाते,
तो वे सुहाने सपने  बुनते थे

इन सब के साथ-साथ ,
 वे भारत माता के बेटे थे
अपने प्राणों की बाजी लगाकर,
वे हमे सुरक्षा देते थे

आये हैं इस दुनिया मे तो,
मरना भी हमारी आदत है
पर देश पे प्राण निछावर करना,
वो मौत नही ये शहादत है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१७--२०१३,रविवार,शाम- बजे,

पुणे-महा.

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