Monday, 19 February 2024

जब किसी बाप की बेटी का

पत्थर दिल भी कलेजा कांप उठता,
और आखों मे आंसू जाता
जब किसी बाप की बेटी का,
जबरन बलात्कार है किया जाता

मां की श्वासें हैं थम जाती,
और पिता बेबस है नजर आता
जब किसी बाप की बेटी का,
जबरन बलात्कार है किया जाता

ये धरा है व्याकुल हो जाती,
और आकाश जोर से रो उठता
जब किसी बाप की बच्ची का,
जबरन बलात्कार है किया जाता

पर लाचार से दिखते आज हैं सब,
और हादशे पे हादशे हो जाते
मुज़रिमो को हो फांसी की सजा,
कुछ दिनों तक हम हैं चिल्लाते

पर कानून बनाने वालों से ,
कठोर कानून नही है बनाये जाते
मुज़रिमों को मृत्य का भय ही नही,
इस लिये अपराध ये करते जाते

ऐसे पापीयों की केवल एक सजा,
और वो सिर्फ फासी ही हो
जिसे देख के औरों मे हो डर,
और उन्हें किसी तरह की माफ़ी हो

पत्थर दिल भी कलेजा काप उठता....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२०--२०१३,शनिवार,११.३० बजे प्रातः

पुणे,महा.

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