तुम्हें दिल मे बसा लूं मैं,पलकों मे बिठा लूं मैं ।
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
तेरा रूप मनोहर है,मुखड़ा है प्यारा ।
लाल लंगोटी है,प्रभु लाल-लाल काया ॥
गदा हाथ लिये के,मूरत को बसा लूं मै ॥
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
प्रभु राम-राम हर पल तुम नाम जपा करते ।
भक्तों के दुःख को तुम ,पल-पल ही हरा करते ॥
पर्वत के लिये प्रभु को,दिल मे बसा लूं मैं ।
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
तुम ग्यान के सागर हो,स्नेह के चादर हो ।
कोई नही तुम सा,तुम सब के आदर हो ॥
उड़ते हुए हनुमत को,दिल मे बसा लूं मैं ।
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
प्रभु अतुलित बल तुममे,तुम भाग्य बिधाता हो ।
प्रभु हमपे कृपा करना,बस तुम ही आशा हो ॥
प्रभु सब कुछ तुम कर सकते,लो याद दिला दूं मैं ।
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
तेरा रूप मनोहर है,मुखड़ा है प्यारा ।
लाल लंगोटी है,प्रभु लाल-लाल काया ॥
गदा हाथ लिये के,मूरत को बसा लूं मै ॥
हनुमत मेरे,हनुमत,आखों से चुरा लूं मैं ॥
तुम्हे दिल मे बसा लूं मैं.......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
25-08-2013,sunday,10pm(737),
pune,maharashtra.
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