Monday, 19 February 2024

भजन श्री कृष्ण जी का (सखी मुरली वाले की है चाह कैसी)

सखी मुरली वाले की है, चाह कैसी
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी
सखी मुरली वाले की.....

मै तो चाहूं बन जाऊं, मुरलिया....
अधरों पे रखेंगे अपने, संवरिया.....
मै तो श्याम की बनुंगी, हार जैसी
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी
सखी मुरली वाले की.....

मै तो चाहूं बन जाऊं, मोर पंखी....
सावरे के मुकुट मे, रहुंगी रखी.....
मैं तो कानों मे कुण्डल,रहुंगी ऐसी
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी
सखी मुरली वाले की.....

मैं तो बन जाऊं, कमर करधनियां.....
बन जाऊं मैं मोहन की, पांव पयजनिया.....
मै तो मोहन की रहुंगी, पिताम्बर जैसी
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी
सखी मुरली वाले की.....

मै तो बनूंगी, श्याम का दर्पण......
कर दुंगी अपना, सब कुछ अर्पण.....
निहारा करेंगे श्याम, मोहे प्यार जैसे
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी

सखी मुरली वाले की है, चाह कैसी
मै तो सांवरे की बनुंगी, श्रृंगार जैसी
सखी मुरली वाले की.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-08-2013,tuesday,10am(739),
pune,maharashtra.



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