तुझे कब से पुकारूं मै,तेरा राह निहारूं मैं ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मैं.......२
तु गउएं चराने गया,पर वापस ना आया ।
गौएं तो आ है गई,पर तु तो नही आया ॥
मेरा लल्ला तु है कहां,तुझे कब से पुकारुं मै ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मैं.......२
मैं बावरी सी होकर,तुझे कब से पुकारुं मैं ।
पल-पल तुझ बिन कान्हा,कैसे जीवन गुजारुं मैं ॥
तु भूखा होगा कब से,आ तुझे पकवान खिला दूं मैं ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मैं.......२
हर पल तेरे ही लिये ,हो रही हूं व्याकुल मैं ।
मेरा कृष्ण कहां है तू,तुझ बिन आकुल हूं मैं ॥
कृष्ण मेरे तुझ पर,बलिहारी जाती मै ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मैं.......२
लो आ गया मेरा कान्हा,आ सीने से लगा लूं मैं ।
कब से भुखा है तू,माखन तो खिला दूं मैं ॥
मेरा लाल कहां तु था,आखों मे बसा लूं मैं ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मै,तेरा राह निहारूं मैं ।
कान्हा मेरे कान्हा,तुझे हर पल दुलारूं मैं ॥
तुझे कब से पुकारूं मैं.......२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
28-08-2013,wednesday,12pm(740),
janmashtami
day,pune,M.H.
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